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सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दु:खभाग भवेत् ।। |
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े |
ii. Padmasan- पद्मासन (Lotus Posture) |
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Technique:-पद्मासन - वाम पद को दक्षिण-जंघा पर और दक्षिण पाद को वाम जंघा पर व्युत्क्रम से इस प्रकार दृढता से जमा लें कि दोनों एड़ियाँ नाभि के नीचे पेडू के उभय पार्श्व में हो जायें और दोनों पादतल कमलपत्रवत् दिखायी देने लगें । इसके पश्चात मेरुदण्ड़ को सीधा रखकर दक्षिण हस्त को दक्षिण जानु पर और वाम हस्त को वाम जानु पर ' ज्ञान-मुद्रा' लगाकर रखें। ध्यान रहे कि दोनों जानु भुमि से सटे रहें । फिर दृष्टि को नासाग्रभाग पर स्थिर करके शान्त बैठ जायें । |
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Benefit:-लाभ - यह आसन पाँवों की वातदि अनेक व्याधियों को दूर करता है । विशेष करके कटिभाग तथा पैरों की सन्धि एंव तत्सम्बन्धित नस-नाड़ियों को लचक दार, दृढ़ और स्फूर्त बानाता है । श्वास क्रिया को सम रखता है । इन्द्रिय और मन को शान्त एंव एकाग्र सम्पादन करता है । मेरुदण्ड़ सीधे रहने से प्राण की गति ठीक रहती है । अत: प्राणायाम तथा योगाभ्यास के लिए यह आसन उपयुक्त रहता है । |
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